Monday 28 March 2022

बिहार में शरबबंदीः हकीकत या फिर फसाना.....

 रंगोत्सव का त्योहार होली. इस त्योहार में सदियों से शराब पीने-पीलाने की चलन रहा है, जो नहीं होना चाहिए. हालांकि, संपन्नता के आधार पर आज भी लोग होली के दिन खुब शराब पीते और पिलाते हैं. लेकिन, बिहार में साल 2016 से शराब पर पूर्ण पाबंदी है यानी ड्राइ स्टेट है. इसके बावजूद इस होली ने बिहार में 41 परिवारों को लील गया. क्योंकि 41 गरीब और निर्धन लोगों ने चोरी छुपे नकली, घटिया या फिर जहरीली शराब पी, जिससे उनकी जान चली गई. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि उनके परिजन कहते है कि शराब पीने से मौत हुई हैं. हालांकि, यह संदिग्ध मौत है, जिसका जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन जांच कर रही हैं. बिहार में शराबबंदी हकीकत है या फसाना... यह आप पाठकों पर विचार करने के लिए छोड़ रहे हैं.


फाइल फोटो


   

    शबारबंदी लागू किया गया तो सुशासन बाबू ने कहा था महिलाओं के सुझाव पर यह फैसला लिया है. इस कुरीतियों से बिहारवासियों को छूटकारा मिलेगा और संपन्नता आएगी. खासकर, गरीब परिवार खुशहाल और आर्थिक रूप से संपन्न होंगे. महिला उत्पीड़न पर भी ब्रेक लगेगी. लेकिन हो उल्टा रहा है. सुशानबाबू कभी उस महिला से जाकर नहीं पूछे, जिस महिला की पति जहहरीली शराब के शिकार होकर जान गंवा दी. उस महिला की संपन्नता पूछना तो दूर उचित न्याय भी नहीं दिलाया जा सका. अब कह रहे हैं पीएंगे तो जाएंगे ही. वाह रे सुशासनबाबू. हकीकत यह है कि साल 2016 से लेकर अब तक सैकड़ों की संख्या में लोगों ने जहरीली शराब की चक्कर में जान गवां दी. पिछले तीन-चार महीने में ही 208 लोगों की मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई है. हालांकि, यह भी हकीकत है कि आपके अधिकारी इस मौत को पेट में दर्द, गंभीर बिमारी, हार्ट अटैक और ना जाने क्या क्या रूप दे देते है, जिससे संदिग्ध मौत मान लिया जाता है. इस मौत की वास्तविक हकीकत भी तब पता चलेगा, जब दूसरे स्टेट में पोस्टमार्टम कराएंगे. अन्यथा हमेशा की तहर लिपापोती होता रहेगा और लोग जहरीली शराब की चपेट में आते रहेंगे.

 

         होली में हुए संदिग्ध मौत के बाद एक सवाल उठने लगा है. यह सवाल सड़क से सदन तक में उठा है. सवाल यह कि क्या बिहार में सिर्फ गरीब लोग ही शराब पीते हैं, तो शराबबंदी से पहले बिकने वाली महंगी शराब कौन पीता है. यह फिर महंगी शराब पीने वाले लोग शराब पीना छोड़ दिए हैं या वे शराब पीते है तो पकड़े क्यों नहीं जाते हैं. सवाल उठाने वाले तो यह कह रहे हैं कि सरकार और प्रशासन में पहुंच रखने वाले लोग होम डिलेवरी से शराब मंगवा रहे हैं. लेकिन वे नहीं पकड़े जाते हैं और नहीं कोई कार्रवाई होती है. यह शराबबंदी कानून दोहरा मपदंड वाला साबित हो रहा है. अन्यथा, सरकार सूची जारी कर सार्वजनिक करे कि पिछले पांच सालों में कितने संपन्न लोगों को शराब पीने के आरोप में कार्रवाई की गई है.

 


       सुशासन बाबू आपको याद ही होगा, जब गोपालगंज में जहरीली शराबकांड हुआ था. इस कांड के बाद आप हाई लेवल मीटिंग की और वरीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया. निर्देश के आलोक में आपके पुलिस प्रशासन बिना सूचना के किसी के घर में जांच के नाम पर घूस जा रहे हैं. इतना ही नहीं, जिस लड़के- लड़कियां की शादी है, उसके घर में भी आपकी पुलिस घूस जा रही है. नव विवाहित लड़की की घर को भी बख्शा नहीं जा रहा है. स्थिति यह है कि तैयार हो रही लड़कियां असहज महसूस करने लगी. लेकिन आपके पुलिस को थोड़ा भी शर्म चेहरे पर नहीं दिखी. यह कोई एक जगह की घटना नहीं है, बल्कि कई जगह की घटना हैं. इसके समर्थन में आपका भी बयान आया. आपके दिशा निर्देश पर ही बिहार पुलिस अपराधियों को पकड़ने के बदले ड्रोन और हेलीकॉप्टर से शराब की तलाशी कर रही है. इसका भी हकीकत क्या है. हकीकत यह है कि रोजाना शराब की भट्टी ध्वस्त किए जा रहे हैं और शराब के साथ तस्कर गिरफ्तार हो रहे हैं. लेकिन इसके समानांतर शराब के कारोबार दिन रात फलफूल रहा है, जिसका परिणाम है कि हमेशा लोग जहरीली शराब के शिकार हो रहे हैं. 

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