Wednesday 6 April 2022

बिहार की राजनीति के मझधार में डूबे मुकेश सहनी

बिहार की राजनीति की पटकथा पटना में लिखी जाती है, उस पटना में राजनीति कलाकार भी हैं और मंचन के लिए कालीदास रंगालय और प्रेमचंद रंगालय जैसे मंच भी. लेकिन जिस सियासत की पटकथा का मंचन सन ऑफ मल्लाह करने चले थे, उस पटकथा के मझधार में ऐसे फंसे कि नहीं मांझी निकाल सकें और नहीं लालू प्रासद यादव पर उमरता प्यार ही बचा सका. स्थिति यह हुई कि वीआईपी पार्टी के तीन विधायक बिहार बीजेपी में शामिल हो गए और खुद को मंत्री पद गवानी पड़ी. अब नाव की खेबइया कहलाने वाले सन ऑफ मल्लाह यानी मुकेश सहनी दरिया का किनारा खोज रहे हैं, ताकि संजीवनी बुटी लेकर फिर राजनीति के मैदान में उतरे तो लोक लाज का बोध नहीं हो.

 

फाइल फोटो

    दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई तो मुकेश सहनी बिहार से उत्तर प्रदेश शिफ्ट हुए और फिल्मी स्क्रीप्ट की तरह बिहार की राजनीति की पटकथा लिखनी शुरू की. यह पटकथा वैसे ही थी, जो ढाई से तीन घंटे में समाप्त हो जाती है. और हुआ भी वहीं. यूपी चुनाव खत्म होते ही मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में हासिये पर चले गए. यह तय भी था. क्योंकि बिना जनाधार वाले नेता मुकेश सहनी बीजेपी की मदद से गठबंधन में शामिल हुए और चुनाव हारने के बाद भी मंत्री पद से सुशोभित हुए थे. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व का तारिफ करते हुए बीजेपी पर हमलावर हो गए और फिर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को ढाई-ढाई साल के फॉर्मुले का ज्ञान. इसकी वजह भी है. मुकेश सहनी उस चकाचौंध से निकले नेता हैं, जहां माया जाल और काल्पनिक लोक में भ्रमण कर लोग रातोंरात स्टर बन जाते हैं. वैसे ही मुकेश सहनी फिल्मी स्क्रीप्ट की तरह राजनीति पटकथा लिखकर रातोंरात बिहार की राजनीति में बड़े राजनीतिज्ञ बनना चाह रहे थे. लेकिन हुआ उल्टा. नहीं माया मिली और ना राम और हो गए टाय-टाय फिस.

         अब मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी वहीं पहुंच गई हैं, जहां से राजनीति शुरू की थी. मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा विधानसभा चुनाव 2020 में वीआईपी को सीट मिली और वीआईपी पार्टी के उम्मीदवार मुसाफिर पासवान जीत दर्ज की. लेकिन उनकी मौत के बाद उपचुनाव होने जा रहा है. यह उपचुनाव भी इंट्रेस्टिंग है. इसकी वजह है कि पटकथा में चीट हो चुके मुकेश सहनी. बीजेपी ने वीआईपी के लिए सीट नहीं छोड़ी तो मुकेश सहनी खुद एनडीए गठबंधन से अलग हुए और चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन बीजेपी ने खेल कर दिया और वीआईपी पार्टी के प्रत्याशी बेबी कुमारी को पार्टी में मिलाने के साथ साथ प्रत्याशी भी बना दिया. मजबूरन वीआईपी ने डॉ गीता को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है.

 

        बोचहा विधानसभा सुरक्षित होने के साथ साथ मलाह बहूल सीट भी है. इस मलाह बहूल सीट पर वीआईपी ने 9 बार के विधायक रहे रमई राम की बेटी तो बीजेपी ने रमई राम को हरा चुकी बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाया हैं. अगर डॉ गीता चुनाव जीत जाती हैं तो मुकेश सहनी का सन ऑफ मल्लाह का तगमा बरकरार रह जाएगा. अन्यथा इस तगमा पर भी संकट गहरा जाएगा. 

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