Friday 10 July 2020

खतरनाक होते जा रहा है बिहार में कोरोना वायरस

फाइल फोटो

देश में दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही थी, तब बिहार शांत था. कम टेस्टिंग से कम मरीज मिलेंगे. इस फॉर्मूला पर राज्य सरकार चली, जो आज बिहार में कोरोना वायरस खतरनाक होते जा रहा है. इसके बावजूद जांच की संख्या नहीं बढ़ायी जा रही है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दिनों दावा किये थे कि रोजाना 10 हजार टेस्ट किया जा रहा है. इस दावे के विरूद्ध में सिर्फ रोजाना छह से सात हजार ही जांच किये जा रहे है. इसमें छह से सात सौ के बीच रोजाना संक्रमित मरीज मिल रहे है. पिछले दिनों नीति आयोग की कोरोना से संबंधित रिपोर्ट आयी है, जिसमें कहा गया कि देश के 28 राज्यों में बिहार का खराब स्थिति है.

लॉकडाउन का नहीं किया जा सका उपयोग

22 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया, तब सूबे में इक्का-दुक्का कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे थे. 22 मार्च से 30 अप्रैल तक सख्त लॉकडाउन लगाये गये, जिसमें निजी व पब्लिक ट्रांस्पोर्टेशन पूर्णत: बंद थे. दूसरे राज्यों में लाखों की संख्या में मजदूरों थे, जो एक मई से आने शुरू हुये. सरकार के पास दो माह का समय था, जिसमें बड़े अस्पतालों व जिला अस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा कर समुचित इलाज की व्यवसथा की जा सकती थी, जो नहीं की गयी. प्रवासी मजदूरों के लिये पंचायत स्तर पर कोरेंटिन सेंटर जरूर बनाये गये, जो खानापूर्ति थे. सोशल मीडिया पर वायरल दर्जनों वीडियो कोरेंटिन सेंटर की हकीकत उजागर हुयी. वायरल वीडियो में खाना नहीं मिलना, बिछावने की बेहतर व्यवस्था नहीं होना और सेंटर पर गंदगी आदि-आदि. इससे प्रवासी मजदूर कोरेंटिन सेंटर में रहने के बदले भाग गये, जो अपने-अपने घरों में रह कर बेधड़क होकर धूमने लगे. अब कोरोना संक्रमण का सामूदायिक फैलाव होने लगा है. इस फैलाव को रोकने के लिये पटना सहित 12 जिलों में दुबारा लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गयी है.

डेडिकेटेड होस्पिटल की नारकीय व्यवसथा

फाइल फोटो
राज्य के बड़े अस्पतालों में एक है एनएमसीएच. इस अस्पताल को कोविड-19 के लिये डेडिकेटेड किया गया, ताकि भर्ती मरीजों की समुचित इलाज किया जा सके. लेकिन, एनएमसीएच की नारकीय व्यवस्था में स्वस्थ्य मरीज भी बीमार जो जाये. दो दिनों पहले एनएमसीएच की वीडियो वायरल हुआ, जो आइसीयू वार्ड का था. इलाजरत दो कोरोना मरीजों की दो दिनों पहले मौत हो गयी, जिसे वार्ड से हटाया नहीं गया और उस शव के बीच ही मरीजों को रखा गया है. वीडियो वायरल करने लड़का कहते है कि डॉक्टर, नर्सिंग स्टांफ या और से सहयोग मांगने पर भी मरीज को नहीं देखता है. अपने से ऑक्सीजन भी देना पड़ रहा है. यह स्थिति डेडिकेटेड अस्पताल की है, तो जिला अस्पतालों की अंदाजा लगा सकते है, जहां कोविड-19 मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

सात दिनों में दोगुनी हो रही संक्रमितों की संख्या

30 मार्च तक पटना जिले में छह कोरोना संक्रमितों की संख्या थी और काफी धीरे-धीरे संख्या बढ़ रही थी. पटना जिले के आंकड़ों पर नजर डालेंगे, तो देखेंगे कि 30 अप्रैल तक 44, 31 मई तक 241, 30 जून तक 718 और एक जुलाई से सात जुलाई तक मरीजों की संख्या 1402 पर पहुंच गया. यह स्थिति सिर्फ पटना जिले की नहीं है. बल्कि पूर्वी चम्पारण, सीतामढ़ी, जमुई सहित कई जिलों की है. अब संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है, तो एम्स में बेडों की संख्या बढ़ायी गयी और एनएमसीएच को गंभीर मरीजों के लिये सुरक्षित किया गया है.

कोमा में है स्वास्थ्य व्यवस्था

कोरोना संक्रमण की बढ़ते खतरा के बावजूद सरकार, मंत्री व अधिकारी चेते नहीं. संक्रमण के फैलाव होते ही सूबे के स्वास्थ्य व्यवस्था खुद कोमा में चली रही है और स्वास्थ्य मंत्री व्यवस्था संभालने के बदले चुनाव की तैयारी में जुट गये है. स्वास्थ्य मंत्री कितने गंभीर है, यह मुजफ्फरपुर में चिमकी बुखार से बच्चे मर रहे थे, तब भी हम व आप देखे थे. उस समय प्रेस कंफ्रेंस में ही क्रिकेट के स्कोर पूछ रहे थे. अभी पार्टी के वरचुअल रैली में व्यस्त है. हालांकि, बिहार के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, जिससे बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज स्वस्थ्य हो रहे है. यह सरकार की कृपा नहीं, यह भगवान की कृपा है.


2 comments:

  1. बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं पूरी की पूरी सरकार चुनाव की तैयारी में लगी हुई है आम जनता चाहे चूल्हे भाड़ में जाए।

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  2. बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ही नहीं पूरी की पूरी सरकार चुनाव की तैयारी में लगी हुई है आम जनता चाहे चूल्हे भाड़ में जाए।

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