Monday 6 July 2020

लोगों को नहीं मिल रहा शुद्ध पीने के पानी, खेतों तक पहुंचाने का मिला आश्वासन

बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल शुरू है और सभी पार्टियां भगवान रूपी जनता से संपर्क करना शुरू कर दिये है. चुनावी नगाड़ा बजाते हुये राज्य के मुखिया ने आश्वासन दिये है. अबकी बार सत्ता में आये, तो हर खेत तक पानी पहुंचायेंगे. मुखिया जी पिछले 15 वर्षों से सत्ता पर काबिज है. लेकिन, लोगों के पास शुद्ध पीने के पानी नहीं पहुंचा सका है. हां, हर घर नल के जल योजना के जरिये पानी पहुंचने की कवायद हुयी है. इस योजना की हकीकत पर बाद में लिखेंगे और आप से राय भी लेंगे. फिलहाल, शुद्ध पीने के पानी और शासन की लचर कार्य प्रणाली पर बात करते है.
राज्य में शुद्ध पीने के पानी की स्थिति क्या है. इसका अंदाजा राजधानी पटना से लगाया जा सकता है, जहां खूद मुखिया जी निवास करते है. इस शहर में होल्डिंग यानी मकानों की संख्या करीब पांच लाख और आबादी करीब 20 लाख हैं. लेकिन, एक भी मकान में शुद्ध सप्लाइ पानी नहीं पहुंच रहा है. लोग निजी मोटर या फिर आरओ के जरिये पीने के पानी की व्यवस्था कर रहे है. इतना ही नहीं, एक सर्वे के अनुसार राजधानी में रोजाना तीन लाख लोग किसी न किसी काम से आते-जाते है. इन लोगों को किसी सड़क पर चलते प्यास लग जाये, तो उन्हें बोतल बंद पानी से ही प्यास बुझाना पड़ता है.
     ऐसा नहीं है कि शुद्ध पीने के पानी पहुंचाने को लेकर योजना नहीं बनी है. योजना तो वर्ष 2008 में ही बनी. भारत सरकार की नुरूम योजना के तहत 420 करोड़ रुपये भी मिले. तब योजना पर काम शुरू नहीं की गयी. वर्ष 2012 में 537 करोड़ की लागत से दुबारा बनायी गयी. इसके तहत आधे पटना को गंगाजल व आधे पटना को ग्राउंड वाटर पहुंचाना था, जिसपर काम भी शुरू की गयी. हालांकि, चयनित एजेंसी संतोषजनक काम नहीं की, तो वर्ष 2014 में टर्मिनेट कर दी गयी. वर्तमान में 537 करोड़ रुपये में पूरी होने वाली योजना की कॉस्ट 2100 करोड़ से अधिक हो गया है. लेकिन, योजना कब पूरी होगी, यह भविष्य की फाइल में दबी है. आखिर इस बढ़े कॉस्ट के देनदार कौन होगा. मुखिया जी के अधिकारी समय से योजना पूरी नहीं किये, तो क्या किया गया. जवाब में कुछ नहीं. हम उनके निष्ठा व ईमानदारी पर गर्व करते है. लेकिन, जब 12 वर्षों में पटना के लोगों को शुद्ध पीने के पानी नहीं मिलता है, तब सवाल तो उठेंगे ही न. सवाल इसलिये भी कि क्या जिम्मेदार को चिह्नित किया गया, क्या योजना पर बढ़े कॉस्ट की वसूली किसी अधिकारी से की गयी और क्या जिम्मेदार को फटकार लगाया गया. इसका जवाब नहीं मिलेगा. फिर, कैसे विश्वासन करे कि इनके अधिकारी समय-सीमा में खेतों तक पानी पहुंचा देंगे और सूबे के किसान खुशहाल व दिन-रात तरकी करने लगेंगे.

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