बिहार की राजनीति नीतीश कुमार, सुशील कुमारी मोदी, राम विलास
पासवान, तेजस्वी यादव, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा के इर्द-गिर्द धूमति है. यानी
एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक नयी पार्टी के साथ नये
चेहरे का पदार्पण भी हुआ है. पार्टी का नाम है प्लरलस व अध्यक्ष का नाम पुष्पम प्रिया
चौधरी, जो महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में इंट्री की है. हालांकि, पूर्व सांसद अरुण कुमार व पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा मिलकर पार्टी बनाने की कवायद की है, जो एनडीए के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है.
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दिवस यानी आठ मार्च को बिहार से प्रकाशित होने वाली सभी प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने
पर विज्ञापन आया, जिसमें पुष्पम प्रिया अपने-आप को भावी मुख्यमंत्री के दावेदार घोषित
की और स्लांगन दिया हेट पॉलटिक्स…सब का शासन. इस विज्ञापन पर प्रमुख राजनीति पार्टियों
की अपने-अपने तरीके से बयान भी आया. कुछ पार्टियों ने स्वागत तो कुछ पार्टियों ने आलोचना
की. जदयू के नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी किराना दुकान पर नहीं बिकता है, जिसे कोई खरीद लें. लेकिन, नयी पार्टी
की प्रचार एजेंडा को अब प्रमुख पार्टियां अपनाने को विवश दिख रहे है. राजद नेता खेतों में घुमने लगे है, तो सत्ताधारी पार्टी ने युवाओं को लुभाने के लिये बड़े नेता को जिम्मेदारी सौंपी है. इससे बिहार की राजनीति में बदलाव की आहट दिखने लगा
है. लेकिन, इस बदलाव का परिणाम चुनाव रिजल्ट
के बाद ही पता चलेगा
पक्ष व विपक्ष में बयानबाजी
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुये पक्ष व विपक्ष के बीच
बयानबाजी शुरू है. 15 वर्ष जंगलराज बनाम 15 वर्ष कुशासन राज की नैरेटिव बनाने की कोशिश
की गयी है. लेकिन, यह नैरेटिव एनडीए नेताओं को रास नहीं आ रहा है. क्योंकि एनडीए को
उपलब्धियां गिनाने के लिये बापू सभागार, बिहार म्यूजियम, फ्लाइओवर व सड़क ही है, जिससे
बिहारी जनता को क्या मिला. जिसे हम सुशासन
की सरकार कहते है, उस राज में नहीं बेरोजगारी घटी और नहीं पलायन रुका. उद्योग बंद होते
चले गये. युवा, किसान, मजदूर सब के सब परेशान है. इससे एनडीए नेता सिर्फ लोगों को जंगलराज
की याद दिला कर अपनी नाकामी पिछाने में लगी है. विकल्प के नाम पर डराने की कवायद की
जा रही है. जबकि, राजद नेता तेजस्वी यादव सार्वजनिक तौर पर अपनी गलती मानते हुये माफी
मांग कर अपने-आप को स्थापित करने में लगे है. लेकिन, बयान में ही उलझे है. वहीं, एनडीए
के घटक लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी एक अलग स्टैंड बनाने की कोशिश कर
रहे है. लेकिन, उनके स्टैंड से पर्दा नहीं हटा है.
बयानबाजी से दूर जनसंपर्क व #30
वर्षों का लॉकडाउन के साथ प्रचार
मढ़ौरा के खंडहर चीनी मिल |
नयी पार्टी प्लुरलस के अध्यक्ष पुष्पम प्रिया प्रमुख पार्टियों
की तर्ज पर बयानबाजी नहीं कर रही है. मीडिया से दूर. नहीं कोई साक्षात्कार व नहीं कोई
तामझाम. सिर्फ अपनी टीम के साथ जिला-जिला व गांव-गांव घूम रही है. युवाओं, बेरोजगारों,
किसानों से मिल कर समस्या जानने की कोशिश के साथ एकजुट कर रही है. वहीं, सूबे के उन
सभी बंद पड़े उद्योग के खंडहर तक पहुंची है, जिसे जीवत करना है. किसाने के खेतों में
पहुंची है, जहां प्रोसेसिंग प्लांट की जरूरत है. इतना ही नहीं, कुटीर उद्योग संचालित
करने वाले लोगों के पास पहुंची है, जहां बेबुनियानी सुविधा व बाजार मुहैया कराने की
आवश्यकता है. नयी पार्टी प्लुरलस का नारा है… पिछले 30 वर्षों से बिहार मृतप्राय बन
गया है, जिसे अब जागृत कर पुराना गौरव वापस करना है.